अभी कुछ दिनों पूर्व ही इस ब्लॉग में श्री कैलाश मानसरोवर यात्रा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां प्रकाशित हुई थी जिसमें आपने पढ़ा की कैलाश मानसरोवर कैसे पहुंचे ? क्या – क्या सरकारी औपचारिकतायें पूरी करनी होंगी ? कौन – कौन से रास्ते हैं ? कितने रुपये व्यय हो सकते हैं आदि? इस पोस्ट को लिखते समय मुझे यही लगा की शायद यह यात्रा मेरे लिये इस जन्म में तो संभव नहीं ! कारण ? इस यात्रा पर होने वाला लाखों रुपयों का व्यय और 24 दिनों की छुट्टियाँ जो की कम से कम मेरे लिये तो असंभव ही है। आप में से भी बहुत से पाठकों को ऐसा लगा होगा। खैर… महादेव के वास तक पहुंचना हर किसी के लिये संभव नहीं।

तो क्या हम कैलाश के दर्शन कभी नहीं कर पायेंगे ? ऐसा नहीं हैं। एक और कैलाश है जो की भारत में ही है और उसे कैलाश के समान ही दर्जा प्राप्त है। यहाँ पहुंचना भी इतना मुश्किल नहीं और खर्चा भी श्री कैलाश मानसरोवर की अपेक्षा बेहद कम, और वह है आदि कैलाश।
समुद्रतल से 6191 मीटर की ऊंचाई पर स्थित आदि कैलाश भारत देश के उत्तराखण्ड राज्य में तिब्बत सीमा के समीप है और देखने में यह कैलाश की प्रतिकृति ही लगता है। आदि कैलाश जिसे छोटा कैलाश के नाम से भी जाना जाता है, तिब्बत स्थित श्री कैलाश मानसरोवर की प्रतिकृति है। विशेष रूप से इसकी बनावट और भौगोलिक परिस्थितियां इस कैलाश के समकक्ष ही बनाती हैं। प्राकृतिक सुंदरता इस क्षेत्र में पूर्ण रूप से फैली हुई है। शहरी जीवन से ऊबे हुए लोगों को यहाँ आकर आपार शांति का अनुभव होता है। वैसे भी जहाँ भोले नाथ का वास हो वहां शांति तो प्राप्त होगी ही।
यहाँ भी कैलाश मानसरोवर की भांति आदि कैलाश की तलहटी में पार्वती सरोवर है जिसे मानसरोवर भी कहा जाता है। इस सरोवर में कैलाश की छवि देखते ही बनती है। सरोवर के किनारे ही शिव और पार्वती का मंदिर है। साधु – सन्यासी तो इस तीर्थ की यात्रा प्राचीन समय से करते रहे हैं किन्तु आम जन को इसके बारे में तिब्बत पर चीनी कब्ज़े के बाद पता चला। पहले यात्री श्री कैलाश मानसरोवर की यात्रा करते थे किन्तु जब तिब्बत पर चीन ने अधिकार जमा लिया तो कैलाश की यात्रा लगभग असंभव सी हो गयी। तब साधुओं ने सरकार और आम जन को आदि कैलाश की महिमा के बारे में बताया और उन्हें इसकी यात्रा के लिए प्रेरित किया। इस क्षेत्र को ज्योलिंगकॉन्ग के नाम से भी जाना जाता है। वैसे एक कथा यह भी है इस स्थान के बारे में की जब महादेव कैलाश से बारात लेकर माता पार्वती से विवाह करने आ रहे थे तो यहाँ उन्होंने पड़ाव डाला था। एक लम्बे सफ़र के बाद जब आप इस जादुई दुनिया में प्रवेश करते हैं तब आपको अनुभूति होगी की आखिर महादेव ने इस स्थान को अपने वास के लिये क्यों चुना।
आदि कैलाश कैसे पहुंचना है ? क्या – क्या औपचारिकतायें पूरी करनी हैं ? क्या – क्या तैयारियाँ होनी चाहिये ? इन सब आदि की जानकारी आप इसी लेख में आगे पढ़ेंगे लेकिन पहले जानेंगे उन सुंदर स्थानों के बारे में जो आपकी आदि कैलाश यात्रा के साक्षी बनेंगे, अथार्त वे प्रसिद्ध स्थान जो आपके मार्ग में पड़ेंगे।
कैंची धाम

नैनीताल – अल्मोड़ा रोड पर भोवाली से 9 किलोमीटर पहले स्थित है कैंची धाम जो की मुख्य रूप से समर्पित है हनुमान जी को और उनके भक्त स्वर्गीय नीम करोली बाबा को। 1962 में स्थापित इस धाम की महिमा पुरे विश्व में विख्यात है। एप्पल और फेसबुक के स्थापक स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग इस धाम के अनन्य भक्तो में से एक हैं। आदि कैलाश यात्रा के दौरान यदि आप के पास अतिरिक्त समय है तो इस धाम में अवश्य जायें।
जागेश्वर

जागेश्वर 8वीं से 12वीं शताब्दी की बीच बनाये गये 124 मंदिरों का समूह है जिनमे से अधिकतर महादेव को समर्पित हैं। इनमें से प्रमुख हैं महामृत्युंजय, महिषश्वर, केदारनाथ, बालेश्वर, सूर्य, और नवग्रह आदि। यहाँ आदि गुरु शंकराचार्य ने तपस्या भी की थी।
पाताल भुवनेश्वर

प्राकृतिक रहस्यों से भरपूर और और पौराणिक कथाओं में वर्णित पाताल भुवनेश्वर भगवान शिव को समर्पित है। गंगोलीहाट हाट के समीप स्थित यह धरती में सैकड़ों फुट नीचे कई गुफाओं का जाल है जहाँ चुना पत्थर और पानी के मिश्रण के निर्मित कई प्राकृतिक संरचनायें स्थित हैं जिन्हें भक्त 33 कोटि देवी – देवताओं का रूप मान कर पूजा करते हैं। इतिहास चाहे जो भी हो लेकिन यह स्थान मनोरम तो है ही।
ओम पर्वत

कहा जाता है की पृथ्वी पर आठ पर्वतों पर प्राकृतिक रूप से ॐ अंकित है जिनमे से केवल एक को खोजा जा सका है और वह यह ओम पर्वत। इस पर्वत पर बर्फ़ कुछ इस प्रकार से पड़ती है की वह ॐ की आकृति ले लेती है। गुंजी तक कैलाश मानसरोवर यात्रियों का और आदि कैलाश यात्रियों का पथ एक ही रहता है। गुंजी से एक मार्ग आदि कैलाश की ओर जाता है और दूसरा मार्ग काला पानी (काली नदी का उद्गम) और नाभीढांग (3987मीटर) होते हुए लिपुलेख दर्रे की ओर चला जाता है जहाँ से कैलाश मानसरोवर यात्री तिब्बत में प्रवेश कर जाते हैं। इसी मार्ग पर नाभीढांग से ओम पर्वत के दर्शन किये जा सकते हैं। आदि कैलाश यात्री पहले गुंजी से नाभीढांग तक ओम पर्वत के दर्शन करने जाते हैं और उसके उपरांत वापस गुंजी तक आकर आदि कैलाश की ओर प्रस्थान करते हैं। ओम पर्वत की इस यात्रा में हिमालय के बहुत से प्रसिद्ध शिखरों के दर्शन होते हैं।
यात्रा पूर्व तैयारियाँ
आदि कैलाश यात्रा दो तरीकों से की जा सकती है।
पहला तरीका है की आप स्वयं जायें जिसमें की पूरी यात्रा आपको स्वयं पूरी करनी होगी, रहने और खाने का प्रबंध भी स्वयं ही करना होगा।
दूसरा तरीका है कुमाऊ मंडल (सरकार) द्वारा आयोजित की जाने वाली यात्रा का हिस्सा होना। पहला तरीका अपेक्षाकृत सस्ता है। आप दोनों तरीकों के बारे में इस लेख में पढ़ेंगे।
पहला तरीका
चूँकि आदि कैलाश भारत – तिब्बत सीमा के समीप है इसलिये वहां जाने के लिये आपको एक विशेष सरकारी अनुमति पत्र जिसे इनरलाइन परमिट कहा जाता है, की आवश्यकता होगी और यह धारचूला के SDM से विशेष सरकारी औपचारिकतायें पूरा करने के बाद प्राप्त किया जा सकता है। जिन स्थानों पर भी आपको जाने की अनुमति दी जाती है उन सभी का नाम इस परमिट पर लिखा होता है और यह भी लिखा होता है की आप कितने समय तक वहां रुक सकते हैं। इस यात्रा को अधिकतम 18 दिनों में पूरा करना होता है और परमिट भी इसी अवधि के लिये दिया जाता है।
आवश्यक दस्तावेज
- PCC (पुलिस क्लिअरेंस सर्टिफिकेट) या पासपोर्ट: आदि कैलाश यात्रा के लिये पहला अहम् दस्तावेज़ है पीसीसी अथार्त पुलिस क्लिअरेंस सर्टिफिकेट जो की आपके स्थानीय पुलिस थाने से प्राप्त किया जा सकता है। यह सुनिश्चित करता है की आप किसी आपराधिक गतिविधी में तो संलिप्त तो नहीं।
- पहचान पत्र
- मेडिकल सर्टिफिकेट
- हलफनामा (एफ़िडेविट)
- 4 पासपोर्ट साइज़ फ़ोटो
- आदि कैलाश एवं ॐ पर्वत यात्रा का फॉर्म
सबसे पहले PCC लेकर आपको धारचूला के सरकारी हस्पताल में जाना होगा जहाँ आपका मेडिकल चेक अप किया जायेगा। वैसे यह मात्र एक औपचारिकता ही है जो की 11 रुपये की फीस देकर पूरी हो जाती है और हाथों हाथ आपका मेडिकल सर्टिफ़िकेट बन जाता है। कृपया ध्यान दें की मेडिकल सर्टिफ़िकेट केवल धारचूला हस्पताल का ही मान्य है, कहीं और का नहीं।
अब अपना PCC और मेडिकल सर्टिफ़िकेट लेकर धारचूला SDM कार्यालय चले जाइये। यहाँ आपका वास्तविक पहचान पत्र (ओरिजिनल) जमा कर लिया जायेगा और इनरलाइन परमिट सौंप दिया जायेगा। वापस लौटने पर आप यह परमिट दिखाकर अपना पहचान पत्र प्राप्त कर सकते हैं। कृपया ध्यान दीजिये की इनरलाइन परमिट एक बहुत ही महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है, इसलिये पूरी यात्रा के दौरान इसे संभाल कर रखें। यात्रा सम्बन्धी सरकारी औपचारिकताओं की महत्वपूर्ण जानकारियों के लिये हमें योगी सारस्वत जी का आभारी होना चाहिये। उनके आदि कैलाश सम्बन्धी यात्रा ब्लॉग से अच्छी जानकारी मिली है। आप उनका ब्लॉग इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
http://yogi-saraswat.blogspot.com/2018/07/adi-kailash-yatra-preaprations-before.html
अब चूँकि इनरलाइन परमिट आपके हाँथ में है, आप अपनी यात्रा बेझिझक शुरू कर सकते हैं। इस परमिट का यह लाभ तो है ही की आप सरकार की निगरानी में रहते हैं ! अतः दुर्घटना की स्थिती में आप तक सहायता का पहुंचना आसान होगा। दूसरा लाभ यह है की इस पर उन सभी स्थानों के नाम लिखे होते हैं जहाँ – जहाँ आपको रुकना होता है और लगभग इन सभी स्थानों कुमाऊ मंडल विकास निगम के रेस्ट हाउस हैं जहाँ ठहरने और भोजन की अच्छी व्यवस्था होती है। इन सभी स्थानों पर आपके परमिट की एंट्री की जाती है। आपको यात्रा निम्नलिखित पड़ावों से होकर गुज़रती है।

पहला दिन : दिल्ली से काठगोदाम (175 KM, 6 घंटे, बस या ट्रेन)
पहला दिन वैसे तो आपकी यात्रा में गिना जा भी सकता है और नहीं भी। पहले दिन आप शाम या रात को दिल्ली से ट्रेन या बस पकड़ कर अगले दिन सुबह काठगोदाम पहुँच सकते हैं। इस प्रकार काठगोदाम इस यात्रा का पहला दिन कहा जा सकता है।
दूसरा दिन : काठगोदाम से धारचूला वाया पिथौरागढ़ (325 KM, 12 घंटे, बस या टैक्सी)
इस यात्रा का दूसरा दिन एक लम्बी सड़क यात्रा से होकर गुज़रता है और शाम तक आप इस यात्रा के बेस कैंप धारचूला में होते हैं। धारचूला पिथौरगढ़ जिले की नगर पंचायत होने के साथ – साथ प्राचीन भारत – तिब्बत व्यापार मार्ग का मुख्य व्यापारिक शहर रह चुका है। इस दिन आप को धारचूला में ही रुकना होता है।
तीसरा दिन : धारचूला – लखनपुर – लमारी (50 KM बस + 9 KM पैदल, 6800 फ़ीट)
आज सुबह आप जितनी जल्दी हो सके सरकारी औपचारिकतायें पूरी करके आप लखनपुर के लिये निकल लें। यह सफर 50 किलोमीटर का है। लखन पुर कोई बड़ा क़स्बा नहीं है। पहले पैदल यात्रा धारचूला से ही आरंभ होती थी लेकिन सड़क बनने के बाद अब आप लखन पुर तक बस से पहुँच सकते हैं। लखन पुर से लमारी या मालपा आप 9 किलोमीटर का पैदल ट्रेक करके आप शाम तक पहुँच सकते हैं। यदि आप के पास टेंट है तो अच्छा है, अन्यथा रुकने के विकल्पों के की कमी नहीं है इस यात्रा में।
चौथा दिन : लमारी – बुधी – नाबी (9 KM पैदल + 18 KM जीप, 9500 फ़ीट)
चौथे दिन आपको अपनी यात्रा सुबह – सुबह आरंभ करनी होगी। लमारी से 5 KM का ट्रेक करके आप बुधी पहुँच सकते हैं। यदि आपकी किस्मत अच्छी है तो आपको यहाँ अगले गंतव्य तक के लिए जीप मिल सकती है, अन्यथा आपको 4 KM और पैदल चलकर नाबी से होते हुए छियालेख पहुंचना होगा।
पांचवा दिन : नाबी – नाम्पा – कुटी (14 KM जीप + 6 KM पैदल, 12500 फ़ीट)
सुबह के नाश्ते के बाद आपको नाम्पा तक 14 किलोमीटर की जीप यात्रा करके पहुंचना होगा। यहाँ आप कुछ हल्का – फुल्का खाकर पैदल यात्रा आरंभ कर सकते हैं। 6 किलोमीटर की पैदल यात्रा करके दोपहर के बाद तक कुटी पहुँच जायेंगे। इस दिन आपको यहीं रुकना होगा। कुटी एक बेहद प्राचीन गाँव हैं और यहाँ आकर आपको ऐसा लगेगा की आप किसी प्राचीन सभ्यता में पहुँच गये हैं।
छठा दिन : कुटी – ज्योलिंगकॉन्ग (14 KM ट्रेक, 14500 फ़ीट)
छठा दिन आपकी यात्रा का महत्वपूर्ण दिन हैं क्योंकि आप इस दिन अपनी यात्रा के गंतव्य ज्योलिंगकोंग अथार्त आदि कैलाश पहुँच जायेंगे। कुटी से ज्योलिंगकॉन्ग तक की यात्रा 14 किलोमीटर की है जिसे आप पैदल या खच्चर द्वारा कर सकते हैं। ज्योलिंगकॉन्ग में एक छोटा रेस्ट हाउस बना हुआ है, लेकिन यदि आपके पास टेंट है तो अच्छा रहेगा। ज्योलिंगकॉन्ग से आदि कैलाश के दर्शन होते हैं।
सातवां दिन : ज्योलिंगकॉन्ग – कुटी (14 KM ट्रेक, 14500 फ़ीट)
सातवां दिन आप सुबह जल्दी उठ कर पार्वती सरोवर में स्नान करके मंदिर में पूजा – अर्चना कर सकते हैं और सरोवर की परिक्रमा भी कर सकते हैं। यदि आपके पास कुछ अतिरिक्त समय है तो यहाँ से 4 किलोमीटर दूर आप गौरीकुंड तक भी जा सकते हैं। परिक्रमा आदि करके आपको आज ही कुटी तक लौटना होगा।

आठवां दिन : कुटी – नाम्पा – नाबी (6 KM ट्रेक + 14 KM जीप, 9500 फ़ीट)
नवां दिन : नाबी – ओम पर्वत – नाबी (22 KM जीप + 22 KM जीप, 9500 फ़ीट)
नवें दिन आप यदि ओम पर्वत के दर्शन करना चाहते हैं (करने ही चाहिये) तो नाबी से जीप द्वारा नाभीढांग तक जीप द्वारा पहुँच सकते हैं। यहाँ से आपको ओम पर्वत के दर्शन होंगे। इस यात्रा के दौरान आप कालापानी जो की काली नदी का उद्गम है, वहां दोपहर का भोजन कर सकते हैं।
दसवां दिन : नाबी – छियालेख / बुधी तक जीप द्वारा + लमारी (6800 फ़ीट) तक 9 KM ट्रेक
नाबी में नाश्ता करने के उपरांत आप छियालेख या बुधी तक जीप द्वारा पहुँच सकते हैं और फिर वहां से आपको लमारी तक पैदल यात्रा करके पहुंचना होगा।
ग्यारहवां दिन : लमारी – लखनपुर – धारचूला (9 KM ट्रेक + 50 KM बस, 3500 फ़ीट)
आज आप 9 KM की पैदल यात्रा और फिर 50 KM तक जीप या बस द्वारा यात्रा करके धारचूला शाम तक पहुँच सकते हैं।
बारहवां और तेरहवां दिन : धारचूला – काठगोदाम / हल्द्वानी – दिल्ली (350 KM बस + 290 KM ट्रेन )
और इसी के साथ आपकी आदि कैलाश यात्रा पहले तरीके से पूरी होती है।
अब आते हैं आदि कैलाश पहुँचने के दूसरे तरीके की ओर।
आदि कैलाश यात्रा सरकार भी आयोजित करती है और इसमें कुमाऊ मंडल विकास निगम (KMVN) विशेष भूमिका निभाता है। इस यात्रा में भी यात्रा मार्ग लगभग वही है जिससे आप स्वयं पहुँचते हैं।
यात्रा से जुड़े दिशा निर्देश
KMVN जो की सरकार का ही एक उपक्रम है, इस यात्रा को आयोजित करता है। यात्रा प्रति वर्ष जून से सितम्बर के बीच आयोजित की जाती है और यात्रियों का चयन पहले आओ – पहले पाओ के आधार पर होता है।
यात्रा की बुकिंग आप कुमाऊ मंडल विकास निगम (KMVN http://www.kmvn.gov.in/) के खाते में 5000 रुपये जमा कराकर कर सकते हैं। यह राशि ऑनलाइन ट्रांसफर या डिमांड ड्राफ्ट द्वारा जमा करायी जा सकती है। यह राशि आपके यात्रा पैकेज में एडजस्ट कर ली जाती है। कृपया ध्यान दें की यह राशि नॉन-रिफंडेबल होती है और यात्रा पैकेज की शेष राशि यात्रा से एक सप्ताह पहले आपको जमा करवाना अनिवार्य है। यात्रियों को एक क्षतिपूर्ति बॉन्ड (Indemnity Bond) भरना अनिवार्य है जिसका फॉर्मेट भेजा जायेगा। केवल 18 वर्ष से 70 वर्ष तक के ही लोग यह यात्रा कर सकते हैं। विदेशी इस क्षेत्र में प्रतिबंधित हैं लेकिन यदि वे यात्रा करना चाहते ही हैं तो उन्हें पिथौरागढ़ प्रशाशन से अनुमति लेना अनिवार्य है।
आवश्यक दस्तावेज़
- PCC (पुलिस क्लिअरेंस सर्टिफिकेट) या पासपोर्ट : आदि कैलाश यात्रा के लिये पहला अहम् दस्तावेज़ है पीसीसी अथार्त पुलिस क्लिअरेंस सर्टिफिकेट जो की आपके स्थानीय पुलिस थाने से प्राप्त किया जा सकता है।
- पहचान पत्र
- मेडिकल सर्टिफिकेट
- हलफनामा (एफ़िडेविट)
- 4 पासपोर्ट साइज़ फ़ोटो
- आदि कैलाश एवं ॐ पर्वत यात्रा का फॉर्म
यात्रा शुल्क
यात्रा पैकेज शुल्क प्रतिवर्ष बदलता रहती है लेकिन आपकी सुविधा के लिए वर्ष 2018 में आयोजित की गयी यात्रा से सम्बंधित राशि की जानकारी दी जा रही है। इससे आपको कुछ अनुमान तो लग ही जायेगा।
दिल्ली – आदि कैलाश – दिल्ली (17 दिन) : 40500 (GST सहित)
काठगोदाम – आदि कैलाश – काठगोदाम (15 दिन) : 35500 (GST सहित)
धारचूला – आदि कैलाश – धारचूला (12 दिन) : 30500 (GST सहित)
अधिक जानकारी के लिये आप नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक कर सकते हैं।
http://kmvn.gov.in/downloads/AdiKailashApplicationformanditinerary2018.pdf
KMVN द्वारा आयोजित की गयी यात्रा निम्नलिखित मार्गों से होकर गुज़रेगी।
पहला यात्रा रूट : दिल्ली – आदि कैलाश – दिल्ली
- पहला दिन : रात में दिल्ली से काठगोदाम के लिये प्रस्थान (280 KM बस)
- दूसरा दिन : काठगोदाम से अल्मोड़ा (80 KM, 1600 मीटर)
- तीसरा दिन : अल्मोड़ा से दीदीहाट वाया पाताल भुवनेश्वर (185 KM, 2010 मीटर)
- चौथा दिन : दीदीहाट से धारचूला (58 KM, 910 मीटर)
- पांचवा दिन : धारचूला से बुधी वाया मंगती (42 KM बस/ जीप + 12 KM पैदल, 2710 मीटर)
- छठा दिन : बुधी से गुंजी (19 KM पैदल, 3220 मीटर)
- सातवां दिन : गुंजी से कुटी (20 KM पैदल, 3600 मीटर)
- आठवां दिन : कुटी से ज्योलिंगकॉन्ग (14 KM पैदल, 4572 मीटर)
- नवां दिन : ज्योलिंगकॉन्ग – आदि कैलाश – ज्योलिंगकॉन्ग – कुटी (21 KM पैदल, 3600 मीटर)
- दसवां दिन : कुटी से नाबी (17 पैदल, 3300 मीटर)
- ग्यारहवां दिन : नाबी से कालापानी (12 KM पैदल, 3678 मीटर)
- बारहवां दिन : कालापानी से नाभीडांग (9 KM पैदल, 4260 मीटर)
- तेरहवां दिन : नाभीडांग – कालापानी – गुंजी (18 KM पैदल, 3220 मीटर)
- चौदहवां दिन : गुजी से बुधी (19 KM पैदल, 2680 मीटर)
- पंद्रहवां दिन : बुधी – मंगती – धारचूला (20 KM पैदल + 40 KM बस, 910 मीटर)
- सोलहवां दिन : धारचूला से जागेश्वर वाया पिथौरागढ़ (185 KM बस, 1870 मीटर)
- सत्रहवाँ दिन : जागेश्वर से दिल्ली वाया नैनीताल, रात में ही काठगोदाम से दिल्ली के लिये प्रस्थान (390 KM बस)
- अठारहवाँ दिन : आज आप सुबह ही दिल्ली पहुँच जायेंगे।
दूसरा यात्रा रूट : काठगोदाम – आदि कैलाश – काठगोदाम
- पहला दिन : काठगोदाम से अल्मोड़ा (80 KM, 1600 मीटर)
- दूसरा दिन : अल्मोड़ा से दीदीहाट वाया पाताल भुवनेश्वर (185 KM, 2010 मीटर)
- तीसरा दिन : दीदीहाट से धारचूला (58 KM, 910 मीटर)
- चौथा दिन : धारचूला से बुधी वाया मंगती (42 KM बस/ जीप + 12 KM पैदल, 2710 मीटर)
- पांचवां दिन : बुधी से गुंजी (19 KM पैदल, 3220 मीटर)
- छठा दिन : गुंजी से कुटी (20 KM पैदल, 3600 मीटर)
- सातवां दिन : कुटी से ज्योलिंगकॉन्ग (14 KM पैदल, 4572 मीटर)
- आठवां दिन : ज्योलिंगकॉन्ग – आदि कैलाश – ज्योलिंगकॉन्ग – कुटी (21 KM पैदल, 3600 मीटर)
- नवां दिन : कुटी से नाबी (17 पैदल, 3300 मीटर)
- दसवां दिन : नाबी से कालापानी (12 KM पैदल, 3678 मीटर)
- ग्यारहवां दिन : कालापानी से नाभीडांग (9 KM पैदल, 4260 मीटर)
- बारहवां दिन : नाभीडांग – कालापानी – गुंजी (18 KM पैदल, 3220 मीटर)
- तेरहवां दिन : गुजी से बुधी (19 KM पैदल, 2680 मीटर)
- चौदहवां दिन : बुधी – मंगती – धारचूला (20 KM पैदल + 40 KM बस, 910 मीटर)
- पंद्रहवां दिन : धारचूला से जागेश्वर वाया पिथौरागढ़ (185 KM बस, 1870 मीटर)
- सोलहवां दिन : जागेश्वर से काठगोदाम वाया नैनीताल (140 KM बस)
तीसरा यात्रा रूट : धारचूला – आदि कैलाश – धारचूला
- पहला दिन : शाम तक स्वयं धारचूला पहुंचे (910 मीटर)
- दूसरा दिन : धारचूला से बुधी वाया मंगती (42 KM बस/ जीप + 12 KM पैदल, 2710 मीटर)
- तीसरा दिन : बुधी से गुंजी (19 KM पैदल, 3220 मीटर)
- चौथा दिन : गुंजी से कुटी (20 KM पैदल, 3600 मीटर)
- पांचवां दिन : कुटी से ज्योलिंगकॉन्ग (14 KM पैदल, 4572 मीटर)
- छठा दिन : ज्योलिंगकॉन्ग – आदि कैलाश – ज्योलिंगकॉन्ग – कुटी (21 KM पैदल, 3600 मीटर)
- सातवां दिन : कुटी से नाबी (17 पैदल, 3300 मीटर)
- आठवां दिन : नाबी से कालापानी (12 KM पैदल, 3678 मीटर)
- नवां दिन : कालापानी से नाभीडांग (9 KM पैदल, 4260 मीटर)
- दसवां दिन : नाभीडांग – कालापानी – गुंजी (18 KM पैदल, 3220 मीटर)
- ग्यारहवां दिन : गुजी से बुधी (19 KM पैदल, 2680 मीटर)
- बारहवां दिन : बुधी – मंगती – धारचूला (20 KM पैदल + 40 KM बस, 910 मीटर)
कृपया ध्यान दें की ऊपर दी गयी KMVN समय सारणी आदि कैलाश यात्रा 2018 के अनुसार है। अमूमन यही समय सारणी हर वर्ष रहती है।
अब आते हैं आदि कैलाश यात्रा से जुड़ी कुछ और तैयारियों की ओर, जैसे की इस पवित्र यात्रा में क्या – क्या लेकर जाना चाहिये और क्या – क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिये।
आवश्यक वस्तुएं
रेन कोट, विंड जैकेट, गरम जैकेट, स्वेटर, दस्ताने, बॉडी वार्मर, ऊनी जुराबें, हो सकते तो जींस की पैंट, जूते, धुप वाले चश्में, टोपी, LED टॉर्च, आवश्यक दवायें, वाटर प्रूफ़ बैग, टॉयलेट पेपर, चप्पल आदि।
सावधानियाँ
- यात्रा के दौरान कृपया पहाड़ वाली साइड पर चलें, खायीं वाली साइड पर नहीं।
- यात्रा सुबह जितनी जल्दी हो सके आरंभ कर दें और दोपहर 2-3 बजे तक रोक दें, क्योंकि इसके बाद पहाड़ी क्षेत्रों में अक्सर मौसम ख़राब हो जाता है।
- यात्रा रूट से हट कर किसी और रूट पर न जायें।
- आपके बैग का वजन 15 – 16 किलो से अधिक न हो।
- प्रयास करें किसी न किसी जत्थे के साथ ही चलें, अकेले नहीं।
- धारचूला में आप को जो इनरलाइन परमिट मिला था, उसे संभाल कर रखें।
इस लेख में आप को आदि कैलाश यात्रा से जुडी सभी जानकारियां देने का प्रयास किया गया है, लेकिन यदि आप के मन में कोई प्रश्न हो कमेंट बॉक्स में लिखें। आप KMVN की वेबसाइट (http://www.kmvn.gov.in/details/index/59) पर भी क्लिक करके अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
मिलते हैं शीघ्र ही किसी और यात्रा के साथ।
तब तक के लिये हर – हर महादेव।
excellant dear
Thanks
Bhut acha likha hai.
2019 m kB se Yatra shuru honi h
सरकार द्वारा कराई जाने वाली यात्रा की घोषणा अभी नही हुई है ।
यदि आप स्वयं से जाना चाहते हैं तो मई से जा सकते हैं ।