यात्रा और धार्मिक यात्रा… दोनों का इतिहास बहुत पुराना रहा है। आदि काल से ही सभी मनुष्यों ने किसी न किसी को अपना आराध्य बनाया और आराध्यों के तीर्थ भी। वर्तमान में विश्व में कुल 20 प्रमुख धर्म हैं और सभी धर्मों के आराधना स्थल पुरे विश्व में फैले हैं। यदि भारत के सन्दर्भ में ही देखें तो यहाँ लगभग 7 प्रमुख धर्मों को मानने वाले लोग हैं और इनमें हिन्दू धर्म को मानने वालों की बहुलता है। हिन्दू धर्म में भी अनेक संप्रदाय और पूजा पद्धतियों को मानने वाले लोग हैं और इस प्रकार अनेकों तीर्थ भी हैं। इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है की देश के प्रत्येक जिले में कम से कम एक तीर्थ तो है ही।
भारत में प्राचीन काल और आज भी आम लोगों के लिये यात्रा का अर्थ तीर्थ यात्रा ही है। सभी तो नहीं लेकिन ज़्यादातर घुमक्कड़ों की यात्राओं में आधी यात्रायें तो तीर्थ स्थलों से ही सम्बंधित होती हैं। आज से हम एक नयी शृंखला आरंभ कर रहे हैं जिसमें देश के सभी धर्मों प्रमुख तीर्थ स्थलों और बारे में संक्षिप्त में जानकारी दी जायेगी। शुरुआत हम हिन्दू धर्म से कर रहे हैं।
सनातन धर्म के प्रमुख धार्मिक स्थल
चार धाम
- श्री बद्रीनाथ
आराध्य: श्री हरी विष्णु
स्थान: बद्रिकाश्रम, चमोली, उत्तराखण्ड - श्री रामेश्वरम
आराध्य: श्री राम
स्थान: रामेश्वरम या पंबन द्वीप, तमिलनाडू - श्री द्वारिकाधीश
आराध्य: श्री कृष्ण
स्थान: द्वारका, गुजरात - श्री जगन्नाथ
आराध्य: श्री कृष्ण, श्री बलराम और देवी सुभद्रा
स्थान: पुरी, ओडिशा
छोटा चार धाम
- यमुनोत्री
आराध्य: माता यमुना
स्थान: जानकी चट्टी से पैदल यात्रा, बड़कोट, उत्तरकाशी, उत्तराखण्ड - गंगोत्री
आराध्य: माता गंगा
स्थान: गंगोत्री, उत्तरकाशी, उत्तराखण्ड - श्री केदारनाथ
आराध्य: भगवान शिव (प्रथम केदार एवं ज्योतिर्लिंग भी)
स्थान: गौरी कुंड से पैदल यात्रा, रूद्रप्रयाग, उत्तराखण्ड - श्री बद्रीनाथ
आराध्य: श्री हरी विष्णु
स्थान: बद्रिकाश्रम, चमोली, उत्तराखण्ड
सप्त बद्री
- श्री बद्रीनाथ
आराध्य: श्री हरी विष्णु
स्थान: बद्रिकाश्रम, चमोली, उत्तराखण्ड - श्री आदि बद्री
आराध्य: श्री हरी विष्णु
स्थान: कर्णप्रयाग, चमोली, उत्तराखण्ड - श्री वृद्ध बद्री
आराध्य: श्री हरी विष्णु
स्थान: अनिमठ, जोशीमठ, चमोली, उत्तराखण्ड - श्री भविष्य बद्री
आराध्य: श्री हरी विष्णु
स्थान: सुभैन, तपोवन, जोशीमठ, चमोली, उत्तराखण्ड - श्री योगध्यान बद्री
आराध्य: श्री हरी विष्णु
स्थान: पांडुकेश्वर, चमोली, उत्तराखण्ड - श्री ध्यान बद्री
आराध्य: श्री हरी विष्णु
स्थान: उर्गम घाटी (कल्पेश्वर के समीप), चमोली, उत्तराखण्ड - श्री नृसिंह बद्री
आराध्य: श्री हरी विष्णु
स्थान: जोशीमठ, चमोली, उत्तराखण्ड
पंच कैलाश
- श्री कैलाश मानसरोवर, तिब्बत
- किन्नर कैलाश, हिमाचल
- श्री खण्ड कैलाश, हिमाचल
- आदि कैलाश, उत्तरखण्ड
- मणि महेश कैलाश, हिमाचल
बारह ज्योतिर्लिंग
- सोमनाथ
आराध्य: भगवान शिव
स्थान: प्रभासपट्टण, वेरावल के पास, सौराष्ट्र, गुजरात - मल्लिकार्जुन
आराध्य: भगवान शिव
स्थान: श्रीशैल, आंध्रप्रदेश - महाकाल
आराध्य: भगवान शिव
स्थान: उज्जैन, मध्यप्रदेश - ओंकार / अमलेश्वर
आराध्य: भगवान शिव
स्थान: ओंकार, मांधाता, मध्यप्रदेश - केदारनाथ
आराध्य: भगवान शिव
स्थान: गौरी कुंड से पैदल यात्रा, रूद्रप्रयाग, उत्तराखण्ड - भीमाशंकर
आराध्य: भगवान शिव
स्थान: डाकिनी क्षेत्र, तालुका खेड, जनपद पुणे, महाराष्ट् - विश्वेश्वर / विश्वनाथ
आराध्य: भगवान शिव
स्थान: वाराणसी, उत्तरप्रदेश - त्र्यंबकेश्वर
आराध्य: भगवान शिव
स्थान: नासिक के पास, महाराष्ट्र - वैद्यनाथ (वैजनाथ)
आराध्य: भगवान शिव
स्थान: वैद्यनाथ, देवघर, झारखण्ड / परळी, जनपद बीड, महाराष्ट्र - नागेश (नागनाथ)
आराध्य: भगवान शिव
स्थान: दारुकावन, द्वारका, गुजरात - रामेश्वरम
आराध्य: भगवान शिव
स्थान: रामेश्वरम या पंबन द्वीप, तमिलनाडू - घृष्णेश्वर
आराध्य: भगवान शिव
स्थान: वेरूळ, औरंगाबाद, महाराष्ट्र
52 शक्ति पीठ
पौराणिक कथानुसार एक बार राजा दक्ष ने महायज्ञ करवाया और इस यज्ञ में सभी देवताओं, ऋषियों, समस्त संसार की सभी सम्मानित हस्तियों और जनता को आमंत्रित किया सिवाय अपने दामाद भगवान शिव और पुत्री सती के। ऐसा उन्होंने अपनी पुरानी नाराज़गी के चलते किया। इस यज्ञ में केवल वही आ सकता था जो आमंत्रित हो। यज्ञ का समाचार सुन कर माता सती ने महादेव से यज्ञ में जाने की आज्ञा मांगी लेकिन उन्होंने समझाया की जब तक निमंत्रण न हो नहीं जाना चाहिये। महादेव जानते थे की इस यज्ञ का परिणाम क्या होने वाला है इसलिये उन्होंने सती को वहां जाने से रोकना चाहा लेकिन माता सती यज्ञ में गयी। यज्ञ में महाराज दक्ष ने माता सती और महादेव का घोर अपमान किया जिससे आहत होकर उन्होंने यज्ञ की अग्नि में भस्म होकर प्राण त्याग दिये। इससे महादेव बहुत रुष्ट हुए और उनके गण वीरभद्र ने महाराज दक्ष का सर काट दिया। अंतिम समय में राजा दक्ष ने क्षमा मांग ली थी इसलिए उन्हें प्राण दान दे दिया गया।
माता सती की मृत्यु से भगवान शिव बहुत दुखी हुए और शोकग्रस्त होकर उनका शरीर कंधे पर उठाये भटकने लगे। उनके शोक को कम करने के लिये माता सती को मुक्ति मिलना आवश्यक था और वह केवल उनके शरीर को समाप्त करके ही किया जा सकता था। इसलिये भगवान नारायण ने अपने चक्र से माता सती के शरीर के 52 टुकड़े कर दिये और ये टुकड़े पिण्ड के रूप में धरती पर अलग – अलग स्थानों पर गिरे वहां – वहां शक्ति पीठ स्थापित हो गये। माता वैष्णो देवी मंदिर भी एक शक्ति पीठ ही है। आपको यह जानकर हैरानी होगी की माता का पहला शक्ति पीठ बलूचिस्तान में हिंगलाज भवानी मंदिर है।
ये शक्तिपीठ इस प्रकार हैं :
- हिंगलाज शक्तिपीठ
स्थान: कराची से 125 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है हिंगलाज शक्तिपीठ। पुराणों की मानें तो यहां माता का सिर गिरा था। इसकी शक्ति-कोटरी (भैरवी कोट्टवीशा) है। - शर्कररे करवीर
स्थान: पाकिस्तान के ही कराची में सुक्कर स्टेशन के पास शर्कररे शक्तिपीट स्थित है। यहां माता की आंख गिरी थी। - सु्गंधा – सुनंदा
स्थान: बांग्लादेश के शिकारपुर में बरिसल से करीब 20 किमी दूर सोंध नदी है। इसी नदी के पास स्थित है मां सुगंधा शक्तिपीठ। कहते हैं कि यहां मां की नासिका गिरी थी। - कश्मीर – महामाया
भारत के कश्मीर में पहलगांव के पास मां का कंठ गिरा था। यहीं माहामाया शक्तिपीठ बना - ज्वालामुखी – सिद्धिदा
स्थान: भारत में हिमांचल प्रदेश के कांगड़ा में माता की जीभ गिरी थी। इसे ज्वालाजी स्थान कहते हैं। - जालंधर – त्रिपुरमालिनी
स्थान: पंजाब के जालंधर में छावनी स्टेशन के पास देवी तालाब है। यहां माता का बायां वक्ष गिरा था। - वैद्यनाथ – जयदुर्गा
स्थान: झारखंड के देवघर में बना है वैद्यनाथधाम धाम। यहां माता का हृदय गिरा था। - नेपाल – महामाया
स्थान: नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर के पास बसा है गुजरेश्वरी मंदिर। यहां माता के दोनों घुटने गिरे थे - मानस – दाक्षायणी
स्थान: तिब्बत में कैलाश मानसरोवर के मानसा के पास एक पाषाण शिला पर माता का दायां हाथ गिरा था। - विरजा- विरजाक्षेतर
स्थान: भारत के उड़ीसा में विराज में उत्कल स्थित जगह पर माता की नाभि गिरी थी। - गंडकी- गंडकी
स्थान: नेपाल में गंडकी नदी के तट पर पोखरा नामक स्थान पर स्थित मुक्तिनाथ मंदिर है। यहां माता का मस्तक या गंडस्थल यानी कनपटी गिरी थी। - बहुला – बहुला (चंडिका)
स्थान: पश्चिम बंगाल में वर्धमान जिला से 8 किमी दूर कटुआ केतुग्राम के पास अजेय नदी तट पर स्थित बाहुल स्थान पर माता का बायां हाथ गिरा था। - उज्जयिनी – मांगल्य चंडिका
स्थान: भारत में पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले से 16 किमी गुस्कुर स्टेशन से उज्जयिनी नामक स्थान पर माता की दाईं कलाई गिरी थी। - त्रिपुरा – त्रिपुर सुंदरी
स्थान: भारतीय राज्य त्रिपुरा के उदरपुर के पास राधाकिशोरपुर गांव के माताबाढ़ी पर्वत शिखर पर माता का दायां पैर गिरा था। - चट्टल – भवानी
स्थान: बांग्लादेश में चिट्टागौंग (चटगाँव) जिले के सीताकुंड स्टेशन के पास चंद्रनाथ पर्वत शिखर पर छत्राल (चट्टल या चहल) में माता की दायीं भुजा गिरी थी। - त्रिस्रोता – भ्रामरी
स्थान: भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल के जलपाइगुड़ी के बोडा मंडल के सालबाढ़ी ग्राम स्थित त्रिस्रोत स्थान पर माता का बायां पैर गिरा था। - कामगिरि – कामाख्या
स्थान: भारतीय राज्य असम के गुवाहाटी जिले के कामगिरि क्षेत्र में स्थित नीलांचल पर्वत के कामाख्या स्थान पर माता का योनि भाग गिरा था। - प्रयाग – ललिता
स्थान: भारतीय राज्य उत्तरप्रदेश के इलाहबाद शहर (प्रयाग) के संगम तट पर माता की हाथ की अंगुली गिरी थी। - युगाद्या – भूतधात्री
स्थान: पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले के खीरग्राम स्थित जुगाड्या (युगाद्या) स्थान पर माता के दाएं पैर का अंगूठा गिरा था। - जयंती – जयंती
स्थान: बांग्लादेश के सिल्हैट जिले के जयंतीया परगना के भोरभोग गांव कालाजोर के खासी पर्वत पर जयंती मंदिर है। यहां माता की बायीं जंघा गिरी थी। - कालीपीठ – कालिका
स्थान: कोलकाता के कालीघाट में माता के बाएं पैर का अंगूठा गिरा था। - किरीट – विमला (भुवनेशी)
स्थान: पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद जिले के लालबाग कोर्ट रोड स्टेशन के किरीटकोण ग्राम के पास माता का मुकुट गिरा था। - वाराणसी – विशालाक्षी
स्थान: उत्तरप्रदेश के काशी में मणिकर्णिक घाट पर माता के कान के मणि जड़ीत कुंडल गिरे थे। - कन्याश्रम – सर्वाणी
स्थान: कन्याश्रम में माता का पृष्ठ भाग गिरा था। - कुरुक्षेत्र – सावित्री
स्थान: हरियाणा के कुरुक्षेत्र में माता की एड़ी (गुल्फ) गिरी थी। - मणिदेविक – गायत्री
स्थान: अजमेर के पास पुष्कर के मणिबन्ध स्थान के गायत्री पर्वत पर दो मणिबंध गिरे थे। - श्री शैल – महालक्ष्मी
स्थान: बांग्लादेश के सिल्हैट जिले के उत्तर-पूर्व में जैनपुर गांव के पास शैल नामक स्थान पर माता का गला (ग्रीवा) गिरा था। - कांची – देवगर्भा
स्थान: पश्चिम बंगाल के बीरभुम जिले के बोलारपुर स्टेशन के उत्तर पूर्व स्थित कोपई नदी तट पर कांची नामक स्थान पर माता की अस्थि गिरी थी। - कालमाधव – देवी काली
स्थान: मध्यप्रदेश के अमरकंटक के कालमाधव स्थित शोन नदी तट के पास माता का बायां नितंब गिरा था, जहां एक गुफा है। - शोणदेश – नर्मदा (शोणाक्षी)
स्थान: मध्यप्रदेश के अमरकंटक में नर्मदा के उद्गम पर शोणदेश स्थान पर माता का दायां नितंब गिरा था। - रामगिरि – शिवानी
स्थान: उत्तरप्रदेश के झांसी-मणिकपुर रेलवे स्टेशन चित्रकूट के पास रामगिरि स्थान पर माता का दायां वक्ष गिरा था। - वृंदावन – उमा
स्थान: उत्तरप्रदेश में मथुरा के पास वृंदावन के भूतेश्वर स्थान पर माता के गुच्छ और चूड़ामणि गिरे थे। - शुचि- नारायणी
स्थान: तमिलनाडु के कन्याकुमारी-तिरुवनंतपुरम मार्ग पर शुचितीर्थम शिव मंदिर है। यहां पर माता के ऊपरी दंत (ऊर्ध्वदंत) गिरे थे। - पंचसागर – वाराही
स्थान: पंचसागर (एक अज्ञात स्थान) में माता की निचले दंत गिरे थे। - करतोयातट – अपर्णा
स्थान: बांग्लादेश के शेरपुर बागुरा स्टेशन से 28 किमी दूर भवानीपुर गांव के पार करतोया तट स्थान पर माता की पायल (तल्प) गिरी थी। - श्री पर्वत – श्रीसुंदरी
स्थान: कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र के पर्वत पर माता के दाएं पैर की पायल गिरी थी। दूसरी मान्यता अनुसार आंध्रप्रदेश के कुर्नूल जिले के श्रीशैलम स्थान पर दक्षिण गुल्फ अर्थात दाएं पैर की एड़ी गिरी थी। - विभाष – कपालिनी
स्थान: पश्चिम बंगाल के जिला पूर्वी मेदिनीपुर के पास तामलुक स्थित विभाष स्थान पर माता की बाईं एड़ी गिरी थी। - प्रभास – चंद्रभागा
स्थान: गुजरात के जूनागढ़ जिले में स्थित सोमनाथ मंदिर के पास वेरावल स्टेशन से 4 किमी प्रभास क्षेत्र में माता का उदर (पेट) गिरा था। - भैरवपर्वत – अवंती
स्थान: मध्यप्रदेश के उज्जैन नगर में शिप्रा नदी के तट के पास भैरव पर्वत पर माता के होंठ गिरे थे। - जनस्थान – भ्रामरी
स्थान: महाराष्ट्र के नासिक नगर स्थित गोदावरी नदी घाटी स्थित जनस्थान पर माता की ठोड़ी गिरी थी। - सर्वशैल स्थान
स्थान: आंध्रप्रदेश के राजामुंद्री क्षेत्र स्थित गोदावरी नदी के तट पर कोटिलिंगेश्वर मंदिर के पास सर्वशैल स्थान पर माता के वाम गंड (गाल) गिरे थे। - गोदावरीतीर
स्थान: इस जगह पर माता के दक्षिण गंड गिरे थे। - रत्नावली – कुमारी
स्थान: बंगाल के हुगली जिले के खानाकुल-कृष्णानगर मार्ग पर रत्नावली स्थित रत्नाकर नदी के तट पर माता का दायां स्कंध गिरा था। - मिथिला- उमा (महादेवी)
स्थान: भारत-नेपाल सीमा पर जनकपुर रेलवे स्टेशन के पास मिथिला में माता का बायां स्कंध गिरा था - नलहाटी – कालिका तारापीठ
स्थान: पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के नलहाटि स्टेशन के निकट नलहाटी में माता के पैर की हड्डी गिरी थी। - कर्णाट- जयदुर्गा
स्थान: यहां कर्नाट (अज्ञात स्थान) में माता के दोनों कान गिरे थे। - वक्रेश्वर – महिषमर्दिनी
स्थान: पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के दुबराजपुर स्टेशन से सात किमी दूर वक्रेश्वर में पापहर नदी के तट पर माता का भ्रूमध्य गिरा था। - यशोर- यशोरेश्वरी
स्थान: बांग्लादेश के खुलना जिला के ईश्वरीपुर के यशोर स्थान पर माता के हाथ और पैर गिरे थे। - अट्टाहास – फुल्लरा
स्थान: पश्चिम बंगला के लाभपुर स्टेशन से दो किमी दूर अट्टहास स्थान पर माता के होठ गिरे थे। - नंदीपूर – नंदिनी
स्थान: पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के सैंथिया रेलवे स्टेशन नंदीपुर स्थित चारदीवारी में बरगद के वृक्ष के पास माता का गले का हार गिरा था। - लंका – इंद्राक्षी
स्थान: ऐसा माना गया है कि संभवत: श्रीलंका के त्रिंकोमाली में माता की पायल गिरी थी। - सर्वानन्दकरी – पटना
बिहार के पटना में माता माता सती कि यहां दाएं जांघ गिरी थी। इस शक्तीपीठ को सर्वानंदकरी के नाम से जाना जात है।निकटतम हवाई अड्डा जय प्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो 8 किलोमीटर दूर स्थित है।
ये सूची थी 51 शक्तिपीठों की लेकिन माता वैष्णो देवी धाम का नाम इसमें नहीं है। चंडी पुराण के अनुसार माता वैष्णो देवी की गणना 52 शक्ति पीठों में नहीं की जाती। इस धाम की गणना देवी भागवत पुराण में वर्णित 64 शक्ति पीठों में होती है। यहाँ माता का आशीवार्द मुद्रा वाला हाँथ गिरा था।
सप्त पुरी
सप्तपुरी का अर्थ सनातन धर्म के अनुसार भारत के 7 पवित्र शहरो से है। यह शहर हैं अयोध्या, मथुरा, द्वारका, वाराणसी, हरिद्वार, उज्जैन और कांचीपुरम। ऋषियों के अनुसार सप्त पूरी के यह सात शहर सांस्कृतिक और भाषाई विविधता के बावजूद भारत की एकता को भी दर्शाते है।
- अयोध्या – उत्तर प्रदेश
अयोध्या भारत के प्राचीनतम शहरो में से एक है जिसे साकेत के नाम से भी जाना जाता है और साथ ही यह भगवान राम का जन्मस्थल है। - मथुरा – उत्तर प्रदेश
मथुरा भी भारत के सात पवित्र शहरो में से एक है जो की भगवान कृष्ण की जन्मस्थली भी है। - उज्जैन – मध्य प्रदेश
उज्जैन को उज्जयिनी और अवंतिका के नाम से भी जाना जाता है, जो की क्षिप्रानदी के तट पर बसा हुआ है और साथ ही कुम्भ मेले का आयोजन करने वाले चार शहरो में से भी एक है। - वाराणसी – उत्तर प्रदेश
वाराणसी अथार्त काशी भारत के प्राचीनतम और पवित्र शहरो में से के है, जो की गंगा नदी के तट पर बसा हुआ है। - द्वारका – गुजरात
द्वारका भी भारत के प्राचीनतम शहरो में से एक है, जो गुजरात के जामनगर में बसा हुआ है। पवित्र द्वारका शहर चार धामों का भी एक हिस्सा है। - हरिद्वार – उत्तराखण्ड
हरिद्वार हिन्दुओ के पवित्र तीर्थस्थलो में से एक और कुम्भ मेले का आयोजन किये जाने वाले चार स्थलों में से एक है। - कांचीपुरम – तमिलनाडु
कांची अथार्त कांचीपुरम तमिलनाडु में वेगवथी नदी के तट पर बसा हुआ एक शहर एक पवित्र तीर्थस्थल और भारत के सात पवित्र धार्मिक शहरो में से एक है।
पुष्कर तीर्थ – राजस्थान
राजस्थान स्थित पुष्कर एक मात्र ऐसा तीर्थ है जो ब्रह्म देव को समर्पित है। यहाँ ब्रह्म देव ने यज्ञ किया था।
अष्ट विनायक – महाराष्ट्र
अष्टविनायक से अभिप्राय है- “आठ गणपति”। यह आठ अति प्राचीन मंदिर भगवान गणेश के आठ शक्तिपीठ मंदिर भी कहलाते है जो की महाराष्ट्र में स्तिथ हैं।महाराष्ट्र में पुणे के समीप अष्टविनायक के आठ पवित्र मंदिर 20 से 110 किलोमीटर के क्षेत्र में स्थित हैं। इनमें विराजित गणेश की प्रतिमाएँ स्वयंभू मानी जाती हैं, यानि यह स्वयं प्रगट हुई हैं।
- मयूरेश्वर या मोरेश्वर – मोरगाँव, पुणे
- सिद्धिविनायक – करजत तहसील, अहमदनगर
- बल्लालेश्वर – पाली गाँव, रायगढ़
- वरदविनायक – कोल्हापुर, रायगढ़
- चिंतामणी – थेऊर गाँव, पुणे
- गिरिजात्मज अष्टविनायक – लेण्याद्री गाँव, पुणे
- विघ्नेश्वर अष्टविनायक – ओझर
- महागणपति – राजणगाँव
अन्य प्रसिद्ध तीर्थ
आंध्र प्रदेश
- वेंकटेश्वर मंदिर, तिरुमला
- श्रीशैलम मंदिर
- वेंकटेश्वर मंदिर, तिरुमाला
- वराह लक्ष्मी नृसिंह मंदिर, सिमचलम
- विनायक मंदिर, कनिपाकम
- कनक दुर्गा मंदिर, विजयवाड़ा
- गोविंदराज मंदिर, तिरुपति
- कपिल थेरथम
- कल्याण वेंकटेश्वर मंदिर, श्री निवासमंगपुरम
- कल्याण वेंकटेश्वर मंदिर, नारायणवनम
- वीरभद्र मंदिर, लेपाक्षी
- रंगनाथ मंदिर, नेल्लोर
अरुणाचल प्रदेश
- परशुराम कुंड
- रंगनुव हम
असम
- बागेश्वरी मंदिर, बोंगाईगांव
- तेजपुर के पास, भैरबी मंदिर
- ढेखखोवा, बोर्नमघर
बिहार
- मुंडेश्वरी मंदिर, कैमूर
- विष्णुपद मंदिर, गया
- भैरव मंदिर, बेगूसराय
- बैठकजी, हाजीपुर
- चंडीका स्टेशन, मुंगेर
चंडीगढ़
चंडी मंदिर
छत्तीसगढ़
- बांम्बलेश्वरी मंदिर, डोंगगढ़
- बरफानी धाम
- भोरमदेव मंदिर, कवर्धा
- दांतेश्वरी मंदिर, दंतेवाड़ा
दिल्ली
- स्वामीनारायण अक्षरधाम
- लक्ष्मीनारायण बिड़ला मंदिर
- छतरपुर मंदिरहनुमान मंदिर
- इस्कॉन मंदिर
- जगन्नाथ मंदिर
- कालका जी मंदिर, दिल्ली
- लक्ष्मीनारायण मंदिर
- योगमाया मंदिर
गोवा
- शांति दुर्गा मंदिर
- महादेव मंदिर, तंबडी सुरला
गुजरात
- सूर्य मंदिर, मोडेरा
- श्री स्वामीनारायण अक्षरधाम, गांधीनगर
- अंबाजी मंदिर
- आत्मज्योति आश्रम
- गिरनार के तीर्थ
- श्री स्वामीनारायण मंदिर, भुज (नया मंदिर)
हरियाणा
- ब्रह्म सरोवर, कुरुक्षेत्र
- ज्योतिसर, कुरुक्षेत्र
- संनिहित सरोवर, कुरुक्षेत्र
- भूतेश्वर मंदिर
- पिंडारा मंदिर
हिमाचल प्रदेश
- मणिमहेश, चंबा
- बैजनाथ मंदिर, बैजनाथ
- चिंतपूर्णी देवी मंदिर, उना
- हिडिम्बा देवी मंदिर, मनाली
- चामुंडा देवी मंदिर, कांगड़ा
- नैना देवी मंदिर, बिलासपुर जिला
- बाबा बालक नाथ मंदिर
जम्मू और कश्मीर
- अमरनाथ
- हरि पर्वत
- खीर भवानी
- रघुनाथ मंदिर
- शंकरचार्य मंदिर
झारखंड
- मां देवरी मंदिर
- जगन्नाथ मंदिर
- श्री श्री कालिका महारानी मंदिर
- कर्णेश्वर धाम
- हरिहर धाम
- गायत्री ज्ञान मंदिर
- मलूटी मंदिर समूह
- बिंदूधाम
कर्नाटक
- मुरुदेश्वर
- चामुंडेश्वरी मंदिर, मैसूर
- चेलूवनारायण स्वामी मंदिर, मेलुको
- चेनेकेव मंदिर, बेलूर
- देवरायण दुर्गा
- धर्माराय स्वामी मंदिर, बैंगलोर
- गावी गंगाधरेश्वर मंदिर
- उडुपी श्रीकृष्ण मथ, उडुपी
- विरुपाक्ष मंदिर
केरल
- अनंतपुर झील मंदिर
- श्री पूर्णनाथरेयस मंदिर
- अरमानुला पार्थसारथी मंदिर
- कदम्पुझा देवी मंदिर
- कोडुंगल्लूर भगवथी मंदिर
- कोट्टियूर मंदिर
- कुडलमानिक्यम मंदिर
- लोकानारवु मंदिर
- मनारसाला सांप मंदिर
- मुथप्पन मंदिर
- ओचिरा मंदिर
- पेरुवनम महादेव मंदिर
- पद्मनाभस्वामी मंदिर
- सबरीमाला मंदिर
- श्री पूर्णनाथरेयस मंदिर
मध्य प्रदेश
- कंदरिया महादेव मंदिर, खजुराहो
- हनुमान टेकरी, गुना
- राम राजा मंदिर, ओरछा
- शारदा देवी मंदिर मैहर सतना
- चिंतामणि गणेश, उज्जैन
- बडे गणेश जी का मंदिर
- हरसिद्धि मंदिर, उज्जैन
- काल भैरव मंदिर, उज्जैन
- मंगलनाथ मंदिर, उज्जैन
- गोपाल मंदिर, उज्जैन कंदारी महादेव
- गणेश मंदिर, सीहोर
- देवी वासिनी मंदिर, देवास
- पीताम्बरा पीठ, दतिया
- कंदरिया महादेव मंदिर, खजुराहो
- चौसठ योगिनी मंदिर, खजुराहो
- मातंगेश्वरी मंदिर, खजुराहो
- सास-बहू मंदिर, ग्वालियर
- काकनमठ मंदिर,
महाराष्ट्र
- कैलाश मंदिर, एलोरा
- शिव मंदिर, महाराष्ट्र
- अकालकोट स्वामी समर्थ
- बालेश्वर पाली
- भुलेश्वर मंदिर
- महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर
- मुंबा देवी मंदिर
- परशुराम मंदिर
- विठोबा मंदिर, पंढरपुर
- विश्व मंदिर (वखारी वा कोर्टी देवलायस, इस्बावी), पंढरपुर
- रामेश्वर मंदिर
- शनि शिंगणापुर
मणिपुर
- श्री गोविंद जी मंदिर, इम्फाल
- गोपीनाथ मंदिर
- कांचीपुर के श्री राधा रमन मंदिर
ओडिशा
- कोणार्क सूर्य मंदिर
- मुक्तेश्वर देवला
- बैताल देल
- राजा रानी मंदिर
- पुस्पागिरी महाविहार
- नृसिंघनाथ मंदिर
- ब्रह्म मंदिर, बिंदुसागर
- लंकेश्वरी मंदिर, सोनपुर
- लिंगराज मंदिर
पंजाब
- दुर्गियाना मंदिर
- सूरज कुंड सुनम, सुनम
राजस्थान
- बिड़ला मंदिर
- बाबा मोहन राम मंदिर, काली खोली
- करणी माता मंदिर, देशनोक
- सांवलिया जी मंदिर
- सालासर बालाजी मंदिर, सालासर
- कैला देवी मंदिर, कैला देवी, करौली
- कृष्ण मंदिर, करौली
- मेहंदीपुर बालाजी मंदिर
सिक्किम
- हनुमान टोक, गंगटोक
- किरातेश्वर महादेव मंदिर, लेगशिप
- ठाकुरबाड़ी मंदिर, गंगटोक
तमिलनाडु
- मीनाक्षी अम्मान मंदिर
- कर्पाका विनायक मंदिर
- उची पिल्लयार मंदिर
- मनुकुला विनायक मंदिर
- मीनाक्षी अम्मान मंदिर
- पलानी मुरुगन मंदिर
- तिरुचेंदुर मुरुगन मंदिर
- तिरुपरकरणुम मुरुगन मंदिर
तेलंगाना
- रामप्पा मंदिर
- भद्रचल मंदिर
- वारंगल में 1000 स्तंभ मंदिर
- ज्ञान सारावती मंदिर
त्रिपुरा
- अगरतला जगन्नाथ मंदिर
- चतुर्दश मंदिर
- लक्ष्मी नारायण मंदिर, अगरतला
उत्तराखण्ड
- जागेश्वर
- गोलू देवता, चितई
- वृद्ध जागेश्वर
- गोपीनाथ मंदिर, चमोली गोपेश्वर
- ज्योतिर्मठ (जोशीमठ)
- कर्णप्रयाग
- नंदप्रयाग
- महासु देवता मंदिर
- ऋषिकेश
- चंडी देवी मंदिर, हरिद्वार
- मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार
- गर्जिया देवी मंदिर, रामनगर
- नीलकंठ महादेव मंदिर
- गुप्तकाशी
- त्रियुगिनारायण मंदिर
- ऊखीमठ
- सुरकंडा देवी, मसूरी के पास
- कुंजा पुरी देवी
- देव प्रयाग
- रूद्र प्रयाग
उत्तर प्रदेश
- प्रेम मंदिर वृंदावन
- राम जन्मभूमि, अयोध्या
- हनुमानगढ़ी, अयोध्या
- गोरखनाथ मठ, गोरखपुर
- श्री दीर्घ विष्णु मंदिर, मथुरा
- बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन
- राधा रमन मंदिर, वृंदावन
- द्वारकाधिेश मंदिर, मथुरा
- कृष्ण जन्मभूमि, मथुरा
- विंध्याचल, मिर्जापुर
- संकट मोचन हनुमान मंदिर, वाराणसी
- श्री हनुमान धारा, चित्रकूट
- राम घाट, चित्रकूट
पश्चिम बंगाल
- लक्ष्मी नारायण मंदिर
- अनंत वासुदेव मंदिर, बांसबेरिया
- बेलूर मठ, बेलूर
यह थे भारत के कुछ प्रमुख हिन्दू तीर्थ। यदि आप अन्य तीर्थों के बारे में भी जानकारी पाना चाहते हैं या जानकारी देना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखें।
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