लोहाघाट जानते हैं? खैर.. मैं भी कैसा प्रश्न पूछ रहा हूँ। लोहाघाट (Lohaghat) को कौन नही जानता। लेकिन क्या आप डॉक्टर मौरिस को जानते हैं?
चलिये आज आप को बताते हैं लोहाघाट के माउंट एबट (Mount Abbott) पर The Abbey हॉस्पिटल चलाने वाले डॉक्टर मौरिस (Doctor Morris Lohaghat) के उन खौफ़नाक कारनामों के बारे में जिनकी वजह से इस स्थान को दुनिया के शीर्ष डरावने स्थलों में से एक माना जाता है।
यह 1910 के आस – पास की बात है जब ब्रिटिश लोगों ने माउंट एबट पर एक बड़े स्थान को लीज़ के रूप में ले लिया और वहां रहने लगे और उन्ही लोगों में से एक थे ब्रिटेन के जाने-माने डॉक्टर मौरिस।

उन्होंने The Abbey नाम से एक हॉस्पिटल खोला जिसमें वे आस – पास के गांव वालों का निःशुल्क उपचार किया करते थे जिसके कारण गांव वालों के बीच उनकी छवि एक देवता समान बन गयी थी। केवल इतना ही नही, वे मरीज़ को देख कर बता दिया करते थे कि इसकी मृत्यु कब और कितने बजे होगी।
लेकिन वास्तविकता कुछ और ही थी। डॉक्टर मौरिस हॉस्पिटल की आड़ में एक बड़े शोध पर काम कर रहे थे। वे जानना चाहते थे की क्या जीवन और मृत्यु के बीच भी कोई स्थिती होती है? मृत्यु के तुरंत बाद क्या होता है? क्या कोई ऐसी भी स्थिती भी हो सकती है जिसमें व्यक्ति न तो मरा हो और न ही जीवित हो? इन्ही सब सवालों के जवाब पाने के लिये उन्होंने यह शोध आरम्भ किया था।
इसके लिये वे ऐसे मरीज़ का चुनाव करते थे जो कि अनाथ हो, या फिर बेहद गरीब..अथार्त कोई उस मरीज़ के आगे – पीछे कोई ऐसा व्यक्ति न हो जो डॉक्टर पर सवाल उठा सके ।
मरीज़ चुनने के बाद कुछ दिनों तक दिखावटी उपचार किया जाता था और फिर डॉक्टर मौरिस कह देते थे कि अब इस मरीज़ को नही बचाया जा सकता और फलां तारीख को इतने बज कर इतने मिनट पर इसको मुक्ति मिल जायेगी..और फिर मुक्ति अथार्त मृत्यु की घोषित तिथी वाली रात को मरीज़ को ‘मुक्ति कोठरी’ अथार्त डॉक्टर की रिसर्च लैब में ले जाया जाता था। वहां डॉक्टर मौरिस मरीज़ के दिमाग मे ऑपेरशन करके मरीज़ को ऐसी स्थिती में ले आते थे जिसमें की वह जीवन और मृत्यु के बीच फंस कर रह जाये.. यह एक प्रकार की कोमा जैसी ही स्थिती थी। कुछ समय शोध करने के बाद मरीज़ को मार दिया जाता था और लाश को उसके जानने वालों को सौंप दिया जाता था लेकिन कुछ मरीजों को वहीं उसी कोमा जैसी स्थिती में बंधक बना लिया जाता था और फिर उन पर लंबे समय तक उन पर शोध किया जाता था।
कहा जाता है कि उन मरीजों से डॉक्टर मौरिस को बहुत सी जानकारियां प्राप्त हो गयी थी और बहुत से रहस्यों को सुलझा लिया था। उनका उद्देश्य बेशक अच्छा था और शायद भविष्य में चिकित्सा विज्ञान को उनके शोधों से बहुत सहायता मिलती… लेकिन उनका तरीका बेहद गलत और घिनौना था।
सन 1921 में डॉक्टर मौरिस के संरक्षण में काम करने आये एक जूनियर डॉक्टर ने उनकी सच्चाई जान ली थी, जिसके कारण मौरिस ने आत्महत्या कर ली।
माउंट एबट पर वह मुक्ति कोठरी आज भी स्थित है जहाँ डॉक्टर मौरिस मरीजों पर शोध किया करते थे और उनका हॉस्पिटल भी है। एक चर्च भी है जिसे अंग्रेज़ो ने ही बनवाया था और हैरानी की बात है कि चर्च पर क्रॉस उल्टा लटकाया हुआ है। यह सभी इमारते आज भी उसी पुरानी स्थिती में हैं लेकिन इन्हें प्राइवेट प्रॉपर्टी घोषित कर इनके अंदर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। आस – पास के लोग बताते हैं कि आज भी यहां कुछ आवाजे आती हैं और रात में कुछ लोगों को भटकते हुए है देखा जा सकता है। उनके अनुसार मुक्ति कोठरी में डॉक्टर मौरिस की आत्मा को मरीज़ों की आत्माओं ने बंधक बना रखा है। कुछ लोग तो यहाँ तक कहते हैं कि दिन में जब दोपहर के समय सन्नाटा हो जाये तो आवाजें सुनाई जा सकती हैं।
देश – विदेश से कई लोग यह कहानी जानकर इस स्थान को देखने आते हैं। फिरहाल चंपावत जिला प्रशासन यहां इस स्थान को हॉन्टेड पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बना रहा है। एक बात और, मुक्ति कोठरी और The Abbey हॉस्पिटल की इमारत के आस – पास किसी को अकेले आने की सलाह नही दी जाती, अतः बेहतर है कि किसी के साथ आयें।
लोहाघाट की खूबसूरती और उससे जुड़ी तमाम जानकारियां जैसे कि यहां कैसे पहुंचना है, कहाँ रह सकते हैं, आस – पास के पर्यटक स्थल, उपयुक्त मौसम आदि पढ़ने के लिये नीचे क्लिक करें।
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